क्या आप जानते है शिव
जी क्या लगते थे विष्णु जी के ?
कुबेर की नगरी अलकापुरी
अलकापुरी बद्रीनाथ को यक्षो का
देश कहते थे । कैलाश से कश्मीर तक को नागलोक कहते थे
अफगानिस्तान से सिंध और पंजाब का कछ हिस्सा गन्धर्व लोक कहलाता
था | नेपाल को
पितर लोक कहते थे । गया बिहार से गंगासागर तक का क्षेत्र नरक लोक कहा जाता था बनो में सूर्य का प्रकाश नहीं
चमकता था तथा
नदियों पर पुल नहीं थे | मरने के बाद के स्वर्ग तथा नरक
अलग
थे
ईरान में परसी पोलिस यम की नगरी
बाद में बसी विष्णु ने ईरान की खाड़ी को सीरसागर कहा।
शिव के पिता का नाम अग्निष्वात था और शिव
का वास्तविक नाम विशालाक्ष था, उनका पहला
विवाह दक्षपुत्री सती से हुआ जो
जो कनखल हरिद्वार की थीं, सती की मृत्यु के बाद शिव का
दूसरा विवाह हिमाचल की पुत्री पारवती से हुआ
त्रयुगीनारायण नाम का स्थान जो केदारनाथ के रास्ते में है वहां
कश्यप ऋषि रहते थे उनका वह धुना आज भी जल रहा है जिसके चारों तरफ शिव पारवती ने फेरे लिये थे, वहीं करीब में कोटा गढ़ नाम की
जगह है जो अब वीरान पहाड है कहते हैं वहीं पर राजा हिमाचल का महल था, पारवती के विवाह में राजा हिमाचल
ने सवा मन सच्चे मोती ब्राह्मणों को दान दिये थे । शिव कश्यप ऋषि के साढू थे क्योंकि
उनके घर में भी दक्ष पुत्रिया थी। और शिव इस रिश्ते से नारायण विष्णु के मौसा लगते थे ।
दक्ष
प्रजापति के घर में उनके 59 दामाद घर
जवांई बनकर रहते थे उस समय ब्रह्मा का राज्य साथ ही विष्णु का राज्य और शिव का
राज्य और दक्ष का राज्य प्रबल शक्ति के रूप में उभर रहे थे और इनमें आये दिन युद्ध
की संभावनाये बढ़ती चली जा रही थीं दक्ष ने अपनी पुत्री सती का विवाह अनिच्छा से
शिव के साथ देवताओं पर बढते प्रभाव और दबाव की वजह से किया था क्योंकि उस समय शिव
कई देवराज्यों को भी
जीत चुके थे और उनका वर्चस्व
देवों पर असुरों पर यक्षों नागों सभी पर बढ़ता चला जा रहा था दक्ष और शिव दोनो का
धर्मआचरण एक दूसरे के विरूद्ध था । उधर कश्यप
ऋषि के
पुत्र विष्णु अपने राज्य भारत से बाहर स्थापित करते चले जा रहे थे दक्ष ने विष्णु
को अपना स्वामी यानी देवता मान लिया था और वे अक्सर उनकी मदद लेते रहते थे ।
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